
कानून में करना होगा बदलाव
संबंधित कानूनों में बदलाव भी करने होंगे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया है कि संपत्ति कर वसूली का अधिकार यदि सभी राज्य ग्राम पंचायतों को सौंप दें तो उनके राजस्व में काफी वृद्धि हो सकती है। सुझाव दिया है कि संपत्ति कर के आकलन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय कर राज्य ग्राम पंचायतों को उसकी वसूली के अधिकार दें। इसके लिए कर्नाटक के मॉडल से सीख ली जा सकती है। यूं तो इन व्यवस्थाओं को लागू करने के लिए विशेषज्ञ या प्रशिक्षित कर्मचारियों के तंत्र की आवश्यकता है, लेकिन तब तक वैकल्पिक रूप से ग्राम पंचायत क्षेत्र में टैक्स और यूजर चार्ज की वसूली के लिए स्पष्ट आदेश जारी किए जा सकते हैं, जिसके आधार पर कर्मचारी काम शुरू कर सकें।
तालाबों में मछली पालन और सिंचाई का नियंत्रण ग्राम पंचायतों को मिले
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि स्थानीय सेवाओं के संचालन का नियंत्रण ग्राम पंचायतों को दिया जाना चाहिए, जिस तरह पश्चिम बंगाल में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और महाराष्ट्र में ग्रामीण जलापूर्ति सेवा सौंपकर राजस्व वसूली का अधिकार दिया गया है। इसी तरह तालाबों में मछली पालन, सरकारी भूमि पर पौधरोपण, वन भूमि, लघु सिंचाई परियोजना आदि का नियंत्रण ग्राम पंचायतों को दिया जाना चाहिए। इसके लिए राज्यों को पंचायतीराज के संबंधित नियमों में संशोधन करना होगा।
पंचायती राज कानूनों में संशोधन जरूरी
अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि उत्तर प्रदेश ने ग्रामीण क्षेत्र के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से लाइसेंस शुल्क वसूलने का अधिकार जिला पंचायत को सौंप रखा है, जबकि अन्य राज्यों में यह अधिकार ग्राम पंचायतों को मिला हुआ है। उन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में पंचायतीराज कानूनों में संशोधन बहुत आवश्यक बताया है।